यादें
पिछली पोस्ट पर बहुत बड़े बड़े ब्लागरों के कमेण्ट प्राप्त हुए तो दिल में कुछ और नया लिखने की इच्छा जगी। तो कल रात को एक छोटी सी कविता और लिखी अब ये तो पता नहीं कि इसे क्या कहते है। कहीं से सुना था कि ये कुण्डली है खैर जो भी हो जो दिल में आया लिख दिया देखकर बताइएगा कैसी लगी
पोस्टकार्ड का गया जमाना, बीती बातें तार की।
फैक्स हुआ ओल्ड फैशन, टेलीफोन चीज बेकार की।।
टेलीफोन चीज बेकार की, मोबाईल क्या आया।
कैमरा, टार्च और अलार्म, सब का हुआ सफाया।।
सब का हुआ सफाया, घड़ी पता नहीं कहां खोई।
कैसेट बिचारी बैठ के, बंद कमरे में रोई।।
बंद कमरे मे रोई, टेप रिकार्डर अब कौन बजाए।
रेडियो के आगे बैठ कर, अब महफिल कौन सजाए।।
अब महफिल कौन सजाए, चीजें आई जब नई नई।
कौन जाने और क्यों जाने, टेलीफोन डायरी कहां गई।।
‘लक्ष्य’ जमाना बदल रहा, अब बस यादें रह जाएगी।
कभी चुपके से कानों में, जो अपनी कहानी कह जाएगी।।
-लक्ष्मण बिश्नोई
और अब अपडेट
समीर लाल जी समीर ने इस कविता को सम्पादित करके कुछ यूँ शुद्ध कुंडली का रूप दिया
पोस्टकार्ड का गया जमाना, बीती बातें तार की।
फैक्स पुरानी बात हो गया, फोन चीज बेकार की।।
फोन चीज बेकार की, मोबाईल जब हाथ में आया।
कैमरा, टार्च और अलार्म, सबका हो गया सफाया।।
कहत ’लक्ष्य’ कविराय कि कलाई से घड़ी है खोई।
गानों की कैसेट भी बेचारी, बैठ बंद कमरे में रोई।।
नया दौर है आज राज, टेपरिकार्डर अब कौन बजाए।
रेडियो के आगे बैठ कर, अब महफिल कौन सजाए।।
अब महफिल कौन सजाए, है तकनिक की धार नई।
टेलीफोन वाली डायरी भी अब, नजर से पार गई।।
‘लक्ष्य’ जमाना बदल रहा, अब बस यादें रह जाएंगी।
कभी हवा संग आ कानों में, अपनी कथा सुनायेंगी!!
-लक्ष्मण बिश्नोई
वास्तविकता को आइना दिखाती हुई सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंआभार शास्त्री जी। ऐसे ही मार्गदर्शन करते रहे
हटाएंआभार सरिता जी। यूं ही सहयोग करते रहे
जवाब देंहटाएंबदलते दौर का खूबसूरत चित्रण
जवाब देंहटाएंआभार दिलबाग जी
हटाएंसही चित्र प्रस्तुत किया..बदले हुए जमाने का. बधाई.
जवाब देंहटाएंकुण्डली आदि के नियम कायदे बहुत होते हैं- यह यूँ ही मुक्त भावाव्यक्ति रहने दें...मुद्दा मनोभावों का है.
जी समीर जी। फिर आभार। फिर भी कोशिश तो कर सकता हूं
हटाएंसुन्दर और सटीक !!
जवाब देंहटाएंज़माना बदल रहा है !!
आभार पूरण जी आप ऐसे ही मार्गदर्शन करते रहे
हटाएंआधुनिकता ने सब छिन लिया है और पोस्ट कार्ड,टेलिफोन,फैक्स,टैप रिकॉर्डर,घड़ी,कैसेट,रेडियो का स्थान मोबाइल ने ले लिया है|
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