अब इंकलाब जरूरी है
चीख चीख रोता है मेरा दिल भारत के हालातों पर। मेरी कलम नहीं लिख पाती गीत प्रेम मुलाकातों पर। मैंने भारत माता को अक्सर रोते हुए देखा है। और वतन की सरकारों को सोते हुए देखा है। सरकारें जो पूरे भारत वर्ष की भाग्य विधाता है। सरकारें जो संविधान की रक्षक और निर्माता है। सरकारें जो वतन की हिफाजत खातिर बुनी गई। सरकारें जो जनता हेतु जनता द्वारा चुनी गई। सरकारें जो संरक्षक है देश में लोकतंत्र की। सरकारें जो शिक्षक है कत्र्तव्यों के मंत्र की। सरकारें जो जनता के सेवक का पर्याय है। सरकारें जो उम्मीद है, आशा है, न्याय है। सरकारें जो परिभाषा है वतन के विकास की। सरकारें जो अहसास है भरोसे और विश्वास की। सरकारें जो सच्चाई और देशप्रेम की मिसाल है। सरकारें जो अराजक लोगों के लिए महाकाल है। आज वतन में वही सरकारें गुण्डागर्दी करती है। रक्षक ही भक्षक बन बैठे, जनता इनसे डरती है। खादी और खाकी दोनों ही अब मर्यादा से दूर हुए। चरित्रहीन नेता बन बैठे ,दौलत के नशे में चूर हुए। जो नेता संसद में देश की इज्जत उछाला करते है। और देश की आंखो में अक्सर मिर्च डाला करते है। भोले भाले लोग यहां के भा...