मेरे जीवन की हिस्सेदार हर नारी को समर्पित
जगती में जब मेरा जीवन, आहत अकुलाए आघातों में। क्लांत कलेजा कूक पड़े जब, दु:ख की चुभती बरसातों में। जब मन के प्रकाशित कोनों में, स्याह अंधेरा जम जाए। जब प्रगति पथ पर जीवन रथ, खा हिचकोले, थम जाये। उमंग भरी इन आँखों में मेरी, यह दृश्य जो फिरा कभी- शिखरों पर बैठा मैं, गर्त में अभी गिरा,हाय!गिरा अभी तब तुम आना, प्रेरक बनकर, उम्मीदों की सौगात लिए। तब तुम आना, प्रथम किरण सी, मनमोहक प्रभात लिए। तुम दीपक बनकर, मुझको, जग में तम से लड़ना सिखला देना। कर सारथ्य जीवन रथ का, राह नई तुम दिखला देना। मेरे तुम पर विश्वासों को, साबित करना तुम सत्य सदा। सफल पुरुष की शक्ति नारी, सत्य रहे यह तथ्य सदा।। ---> लक्ष्मण बिश्नोई लक्ष्य