सपनों को मरने मत देना
तेज आँधियों को दिये के,
प्राण कभी हरने मत देना।
सपनों को मरने मत देना।।
गगरी फूटी, नई बनाओ।
माला टूटी,फिर से सजाओ।
नन्हें कदम जब बढ़ना चाहें,
पकड़ अंगुली, हिम्मत बढ़ाओ।
चलना सीख रहे बच्चे को
गिरने से डरने मत देना।
सपनों को मरने मत देना।।
धूप नहीं,उजियारा देखो।
दुनिया से कुछ न्यारा देखो।
तूफानों से कांपे जगत जब,
पार कहीं किनारा देखो।
भँवरों से भी भिड़ जाने दो,
कश्ती खड़ी करने मत देना।
सपनों को मरने मत देना।।
----> लक्ष्मण बिश्नोई 'लक्ष्य'
प्राण कभी हरने मत देना।
सपनों को मरने मत देना।।
गगरी फूटी, नई बनाओ।
माला टूटी,फिर से सजाओ।
नन्हें कदम जब बढ़ना चाहें,
पकड़ अंगुली, हिम्मत बढ़ाओ।
चलना सीख रहे बच्चे को
गिरने से डरने मत देना।
सपनों को मरने मत देना।।
धूप नहीं,उजियारा देखो।
दुनिया से कुछ न्यारा देखो।
तूफानों से कांपे जगत जब,
पार कहीं किनारा देखो।
भँवरों से भी भिड़ जाने दो,
कश्ती खड़ी करने मत देना।
सपनों को मरने मत देना।।
----> लक्ष्मण बिश्नोई 'लक्ष्य'
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (13-08-2016) को ""लोकतन्त्र की बात" (चर्चा अंक-2433) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'