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नींद में बातें करना बुरी आदत हो सकती है, लेकिन इसी ने मुझे और बुरी आदतों में पड़ने से बचाया

मेरे बचपन का यह किस्सा सत्याग्रह डॉट कॉम पर पब्लिश हुआ है। यहाँ पर जुड़े बहुत से लोग शायद वहाँ इसे ना पढ़ पाएँ हो, इसलिए यहाँ पोस्ट किए दे रहा हूँ।  सत्याग्रह की लिंक यह है -  जब मैं छोटा बच्चा था : लक्ष्मण बिशनोई बात तब की है, जब मैं छठी-सातवीं कक्षा में पढ़ा करता था. हम लोग शुरू से ही औद्योगिक क्षेत्र में रहे हैं. रीको नाम से राजस्थान सरकार हर जिला मुख्यालय पर एक औद्योगिक क्षेत्र विकसित किया करती है, जहां कुछ छोटी-मोटी उत्पादन इकाइयां लगी होती है. अमूमन रीको शहर से लगभग दो-तीन किलोमीटर बाहर होता है. नागौर जिले के मुख्यालय के इसी रीको में हमारा घर था. दो मंज़िला मकान में नीचे प्रिंटिंग प्रेस हुआ करती थी और ऊपर के कमरे में हमारा घर. पापा प्रिंटिंग प्रेस चलाने के साथ-साथ स्थानीय स्तर पर पत्रकारिता भी किया करते थे. उन दिनों उन्होंने जिला स्तर के एक दैनिक अखबार का प्रकाशन शुरू किया था. यह एक सांयकालीन अखबार था. सीमित ग्राहकों तक विस्तार था और खुल्ले में भी बिका करता था. एक रुपये में एक अखबार. तो उन दिनों मैं सब के मना करने के बावजूद अखबार बेचने शहर जाने लगा. मेरे इसमें दो निजी स्वार्थ थे. एक