एक बापू गांधी थे, दूजे बापू आप। वो सत्य अहिंसा के साधक, आप पाप के बाप।। आप पाप के बाप, शर्म लज्जा सब खो गई। हे राम की वाणी अब, हाय राम हो गई।। हाय राम हो गई, ढोंगी हुए सब महात्मा। अधर्म पैर पसारता, धर्म का हुआ खात्मा।। धर्म का हुआ खात्मा, वासना चारों ओर। मुख में हरि ओम जपते, मन में बैठा चोर।। मन में बैठा चोर, रावण को देते टक्कर। जर जोरू और जमीन के रोज चलते चक्कर।। कहता लक्ष्मण बात यह, यही सबसे बड़ा रोग। ऐसे ढोंगी बाबाओं को, फिर भी पूजते लोग।।
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